बलिया यूपी के उस जनपद की जिसे सेनानी मंगल पांडे, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर और भगवान भृगु मुनि की धरती के नाम से जाना जाता है। इस जिले का मुख्यालय शहर बलिया इतना भी अपने क्षेत्रफल में बड़ा नही कि इसे सजाने में शासन-प्रशासन के पसीने छूट जाए। ये तस्वीरें शहर के शाहिद चौक की है, जहां आप पुराने ईंटो की मदद से गढ्ढो को भरते देखा जा सकता है। कुछ लोग इसकी भी दुहाई अपने सर लेकर राजनीति के दरिया में गोता लगाने को आतुर है।कुछ दिन पहले ही प्रदेश के सीएम आये थे और रातो-रातो ओवरब्रिज से महिला अस्पताल के सड़क की तस्वीर बदल दी गयी। बात जनता के सुरक्षा के आयी, तो नजारा ऐसे दिखे की मानो सरकार और प्रशासन दोनों ही भुखमरी के कगार पर हों। दरअसल बरसात का मौसम है जहां-तहां शहर के कई इलाकों में लोग त्राहीमाम-त्राहिमाम कर रहे है। बात नालों, सड़क, गलियों और गंदगी के अंबार की करे तो इस मामले में बलिया का सरकारी सिस्टम पूरी तरह से फेल साबित हुआ है जिसका जीता-जागता सबूत ये तस्वीरें है। प्रशासन के द्वारा गैर जिम्मेदाराना तरीके से शहर की धड़कन कहे जाने वली सड़क के गढ्ढो को खडींजे से भरने की ये तस्वीर अपने आप मे विकास के पोल को सबके सामने उजागर कर रही है। चार साल पूर्व जो भी पार्टी बलिया में राज किया, न उसने कोई कसर छोड़ी, न ही आज भाजपा के इन चार सालों में नए चेहरों के साथ सत्ता में विराजमान बलिया के जनप्रतिनिधियों ने। चार साल में होश आयी तो सड़क के गढ्ढे भी सरमा गए जाहिर सी बात है कि अब सबके कमर भी इन गढ्ढो पर लचक-लचक के चलने को मजबूर होंगे।
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