तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है ।
मगर आकडे झूठे

पिन्टू सिंह

(बलिया) उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों की कारस्तानियों के बारे में तो खूब मसालेदार बातें सुनने को मिलती है ।लेकिन पिछले महिने तक कुछ ग्राम पंचायत विकास खण्डों के अन्तर्गत सचिवों के लिए कोरोना काल आपदा में मलाई जैसा रहा।
यह सच्चाई धीरे-धीरे सामने आने लगी है। कुछ नवनिर्वाचित प्रधानों ने तो इसकी पूरी ‘कुंडली’ तैयार कर उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की है।
जाचं भी चल रहा है।
इसके मुताबिक, यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं कि यदि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने और नया कार्यकाल शुरु होने से पहले तक हुए कार्यो का धरातलीय जाचं करा दिया जाय तो बहुत बड़ा घोटाला का खुलासा हो सकता है।
गौरतलब हो कि ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर 2020 को समाप्त हुआ था।
कार्यकाल समाप्त होने के बाद ई-ग्राम स्वराज के पोर्टल से ग्राम प्रधानों के डिजिटल हस्ताक्षर हटा दिए गये।
सहायक विकास अधिकारियों (एडीओ) को प्रशासक बनाया गया। ग्राम पंचायतों में प्रशासक तय हो गए, जो ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के साथ 25 दिसंबर से खातों का संचालन करने लगे।
इसी बीच वैश्विक महामारी कोविड कोरोना की दूसरी लहर में सभी लोग परेशान हो उठे। सरकार की ओर से गांवाें में सैनिटाइजेशन कराने का फरमान जारी हुआ।
सूत्रों की मानें तो यह फरमान पंचायत सचिवों के लिए आपदा में अवसर तलाशने जैसा रहा। अधिकांश पंचायतों में सचिव कागज में ही सैनिटाइजेशन का कार्य दिखा कर लाखों रुपये का वारा नारा कर दिया। मामले की गांवों में जाकर जांच हो तो कई सचिवों की गर्दन फंस सकती है।
बानगी के रूप में रसड़ा विकास खण्ड के रौराचवर ,माधोपुर, अमहर पट्टी उत्तर, सरया,कटया, ग्रामीणों का कहना है कि कही भी गांव में न तो सैनिटाइजेशन का कार्य हुआ और न ही साफ-सफाई ही कराया गया।
हालांकि दैनिक भास्कर संवाददाता ने सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले सचिव को फोन किया दो बार फोन पूरी घंटी बजने के बाद भी सचिव महोदय द्रारा फोन रिसिव करना मुनासिब नहीं समझा ।
फिर पाचों गावों के नवागत प्रधानों से सम्पर्क किया मगर कुछ का फोन बजा तो कुछ का फोन नेटवर्क से बाहर बताया।
हालांकि मुलाकात के बाद सचिव साहब से पुछा कि आपही वहा के सचिव है।
तो उनका जबाब हा फिर संवाददाता ने पूछा आपके द्रारा विकास कार्यों में जनवरी से जून तक कितना खर्च किया गया है।
तो उन्होंने बताया ज्यादा नहीं लगभग 20 लाख रुपये का कार्य कराया गया है।
आपरेशन कायाकल्प के नाम पर भी गोलगोल
आपरेशन कायाकल्प योजना के तहत सरकारी विद्यालयों को संसाधन उपलब्ध कराने व उनके सुंदरीकरण के नाम पर भी जमकर भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है।
स्कूलों को संतृप्त करने के लिए टायलीकरण, सबमर्सिबल, टेबल-बेंच समेत तमाम कार्यो में अनियमितता बरती गई है।
सामानों की खरीद में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। 
दावा किया कि पुराने हैंडपम्पों के सहारे सबमर्सिबल चालू कर, नई बोरिंग के नाम पर भुगतान किया गया है।
टायल्स में मानक की बात करना बेमानी जैसा हैै। यही हाल टेबल-बेंच का भी है। यानी विद्यालयों के कायाकल्प के नाम पर धन की बंदरबांट की गई है।
एक तरफ जहां सरकार के दावे की सबका साथ ,सबका विकास,
साढे चार साल विकास की गंगा गावों मे बहती रही कभी भी माननीय कि नजर नहीं दौडी मगर जितना काम महज छ महिनों मे गावों मे हुआ है ।
खैर अब जनपद के सभी ब्लाकों मे पद व गोपनीयता की शपथ प्रधान व बीडीसी ले चुके हैं।
खैर छोडों कल की बातें
नये दौर मिलकर लिखेंगे नयी कहानी अब सब मिलकर खायेंगे मलाई ।