खुले आसमान के नीचे वर्षा में भीग रहे बाढ़ पीड़ित परिवार , रौशनी के अभाव में साँप, बिच्छू अथवा अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं से खतरा ।

 

शैलेश सिंह

बैरिया, बलिया । दुबेछपरा में बाढ़ की प्रचण्ड विभीषिका झेल रहे ग्रामीणों का गुस्सा फूटा , किया NH-31 सड़क जाम, कहा प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को केवल कोरा आश्वासन देकर नही कर रही है कोई मद्दत ।
क्षेत्र के गंगा नदी की बाढ़ में पूरी डूब चुके दुबेछपरा , गोपालपुर, उदईछपरा तथा प्रसादछपरा आदि गांवों के ग्रामीणों का गुस्सा बृहस्पतिवार को अचानक उस समय फुट गया जब पिछले चार दिनों से तहसील प्रशासन द्वारा उन्हें आश्वासन दिया जाता रहा है कि जल्द ही सड़क पर खुले आसमान में शरण लिये परिवारों को सर ढकने के लिए तिरपाल की व्यवस्था कराई जाएगी । आज जब ग्रामीणों ने बैरिया तहसील के शीर्ष अधिकारियों से तिरपाल की मांग की तो उनका कहना था कि प्रशासन द्वारा कानपुर से तिरपाल मंगाया गया है और जब आएगा तो उन्हें वितरित किया जाएगा । अधिकारियों की फिर कोरा आश्वासन की बात सुन ग्रामीण भड़क गए और सैकड़ों की संख्या में NH-31 सड़क जाम कर प्रशासन विरोधी नारे लगाने लगे । सड़क की जाम की सूचना पाते ही उपजिलाधिकारी बैरिया व विधायक सुरेन्द्र नाथ सिंह मौके पर पहुँच गये और किसी तरह उग्र ग्रामीणों को समझा-बुझा कर धरना व प्रदर्शन को समाप्त कराया ।
मौके पर उपस्थित सरोज पासवान, उधारी चौधरी , विनोद यादव, मन्टू पासवान , अनील पासवान तथा शम्भू चौधरी ने बताया कि पूरा गांव जलमग्न हो गया है और अधिकांशतः ग्रामीण सड़क पर अपने परिवार व माल-मवेशियों के साथ खुले आसमान में शरण लिए हुए है । उन्होंने बताया कि वर्षा से बचने के लिए उन्हें तिपाल मिल रहा है और नही किरासन तेल , घुप अँधेरा में उनके छोटे-छोटे बच्चे सांप और बिच्छू से भी भयभीत है । ग्रामीणों ने बताया कि लगभग चार हजार की आबादी में 120 राहत पैकेट का वितरण किया गया है , जो बाढ़ पीड़ितों के लिए ऊंट के मुँह में जीरा साबित हो रहा है ।