राजेश सिंह
अतरौलिया नगर पंचायत में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में गरीब व निराश्रित बच्चों व कोरोना संक्रमण में अपने माता या पिता को खो चुके अनाथ हुए बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर नामांकन किया जा रहा है। अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों का भविष्य सवारने के लिए सरकार ने हर तहसील में एक कस्तूरबा गाँधी विद्यालय का निर्माण भी कराया है। कोरोना संक्रमण में अनाथ हुए बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर इन्ही विद्यालयों में नामांकन किया जा रहा है। कस्तूरबा विद्यालयों का हाल बेहतर हुआ है। विद्यालय में सभी संसाधन भी उपलब्ध है । सरकार द्वारा 1 सितंबर से सभी विद्यालय खोलने का आदेश दे दिया गया है, लेकिन अभिभावकों और बच्चों में संभावित तीसरी लहर तथा तेजी से फैल है वायरल बुखार को लेकर लोगों के अंदर एक भय बना हुआ है ।जिससे बच्चों की उपस्थिति बिल्कुल कम है । वहीं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय अतरौलिया की वार्डन अनामिका कुशवाहा ने बताया कोरोना काल के दौरान जिनके पिता की मृत्यु हो गई है, या जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है, बच्चे पूरी तरह अनाथ हो चुके हैं उनके लिए कस्तूरबा विद्यालय में गोल्डन चांस है ।खाना, रहने की व्यवस्था, पढ़ाई के साथ ही 100 बेड की व्यवस्था भी की गई है, वही शुद्ध पेयजल के लिए आर ओ प्लांट लगाया गया है । कपड़े की धुलाई के लिए विद्यालय में वाशिंग मशीन की व्यवस्था की गई है। पढ़ाई के लिए प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है, बच्चों को एक अच्छी सुविधा दी जा रही है। विद्यालय में बच्चे रहकर पढ़ाई करते हैं तो उनका क्लास भी बराबर लिया जाता है जो बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके होते हैं उन्हें जोड़ने के लिए शिक्षकों द्वारा एक प्रयास किया जाता है। अनाथ व निराश्रित सभी लोगों को यहां घर जैसा माहौल मिलता है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से दो गार्ड तैनात हैं जो दिन रात ड्यूटी करते हैं वही एक चौकीदार की तैनाती भी की गई है। कोरोना के भय से बच्चे अभी स्कूल कम संख्या में आ रहे हैं बच्चों की संख्या और बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।