दिनेश कुमार गुप्ता

बलिया जिले की पुलिस के लिए नासूर बन चुका हरीश पासवान उर्फ हरि पासी को एसटीएफ लखनऊ की टीम ने बुधवार को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठ रहा है कि इनानिया बदमाश को सीधे सिर पर गोली पीछे से मारी गई है, इसको लेकर के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वह मौके पर ढेर हो गया तो रसड़ा सीएससी से बलिया के लिए रेफर करने की जरूरत कहां से आ पड़ी।
हालांकि बलिया एसपी राजकरण नय्यर एसटीएफ का बचाव करते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। घटना रसड़ा कोतवाली थाना क्षेत्र की है जहां पुलिस और बदमाश के बीच मुठभेड़ हुई और इस मुठभेड़ में बदमाश की गोली लगने से मौत हो गई है। जिससे अब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हल्दी थाना क्षेत्र के बाबूबेल निवासी हरीश पासवान जरायम की दुनिया में एक बहुत ही बड़ा नाम है। उसके जनपद में मौजूद होने का लोकेशन मिलते ही एसटीएफ की टीम रसड़ा कोतवाली क्षेत्र में पहुंच गई। इसके बाद स्थानीय पुलिस की मदद से उसकी घेराबंदी की गई और पुलिस को चकमा देकर भाग रहे बदमाश ने कई राउंड फायर किया। जवाब में पुलिस एवं एसटीएफ टीम ने भी गोलियां बरसाई। जिसमें बदमाश हरीश पासवान को कई गोली लगी और वह मौके पर ही गिरकर छटपटाने लगा। जहां से पुलिस उसे सीएचसी ले गयी। वहा से जिला अस्पताल लाते वक्त रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। हरीश पासवान बैरिया कस्बा निवासी जलेश्वर सिंह पूर्व जिला पंचायत सदस्य की हत्या में भी नामजद अभियुक्त था। शासन के सख्त रूख को देखते हुए हरीश पर पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित किया था। हरीश को मार गिराए जाने की सूचना जैसे ही जनपद में आई लोगों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म रहा ऐसे में लोग पुलिस की सक्रियता पर प्रश्नचिन्ह लगाने के साथ ही कुछ लोग कार्रवाई को भी सही ठहरा रहे।
इसके बावजूद भी पुलिस और एसटीएफ द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एनकाउंटर में कई लूपहोल्स दिखाई दे रहे हैं मसलन जब हरीश पासवान के सर में गोली लगी और जो तस्वीरें सामने आ रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई ।इसके बावजूद उसे रसड़ा पीएचसी पर उसके बाद जिला चिकित्सालय ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया । अगर उसकी मौत हो गई तो बलिया क्यों रेफर किया गया और फायरिंग में अगर गोली लगी तो उसके सर के बीचो-बीच कैसे लगी मसल गोली तो पैरों में मारनी चाहिए थी और हरीश पासवान अकेले पूरी एसटीएफ और पुलिस पर फायरिंग करने की हिम्मत कैसे जुटा पाया। पूरे शूटआउट में अब सबकी निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिकी हुई है, वहीं कुछ लोगों का दबी जुबान यह भी कहना है कि हरीश पासवान के एनकाउंटर के पीछे पूर्व जिला पंचायत सदस्य जलेश्वर सिंह हत्याकांड भी मोटिव हो सकता है क्योंकि हरीश पासवान के जरिए कुछ सफेदपोश लोग के चेहरों से भी नकाब उठ सकता था।