आन्दोलन न कुचल पाये तो वो किसानों को ही कुचलने लगें है।
तेरी कोशिश तेरी तदबीर से बातें कर लूं
या तेरे ख्वाब की ताबीर से बातें कर लूं
तू तो मौजूद नहीं जश्नने शहादत में यहां
क्यों रमन कश्यप तेरी तस्वीर से बातें कर लूं
पिन्टू सिंह
(बलिया) बेरहम होती ब्यवस्था में आस्था का सिम्बल लोगों के दुख दर्द को निशुल्क सारे मुल्क में जिम्मेदारी चौथा स्तंभ पत्रकार इस‌ सरकार में दुर्गति भोग रहा है।चौतरफा मार झेलकर सच की ईबारत को जन जन तक पहुंचा कर समाज में फैल रही बुराई को उजागर करता है।
नये समाज की संरचना में भागीदारी निभाता है। लेकिन खुद बेसहारा बेचारा बनकर जिन्दगी को दांव पर लगाकर चौतरफा हमला झेलता है। सरकार चाहे किसी की हो पत्रकार सुरक्षित नहीं है।यह अलग बात‌ है सियासत के जागीरदारो ने अपने कुटील चाल का स्तेमाल कर पत्रकार शब्द में ही बंटवारा करा दिया।
जिसका परिणाम पूरा देश भुगत रहा है।अब तो जिसकी सत्ता उसके साथ मनमाफिक उनके साथ पत्रकार नहीं चाटुकारों की फौज चल रही‌ है।साहब को झींक आ गयी तो समन्दर उबलने लगता है। लाखों का सूट गरीबी की निशानी है! पीते हैं बादाम सेक कहते हैं चाय खानदानी है।? जबसे चाटुकार पत्रकार सियासतदारों के आगे पीछे घूम कर करने लगे मनुहार तभी से सच लिखने का हूनर जानने वाले कलम कार हासिये पर आ गये। वर्तमान सरकार में पत्रकार बेकद्र हो गया! बे आबरु हो गया? तमाम की हत्या हो गयी! तमाम रोजाना प्रशासन के द्वारा प्रताड़ित किये जाते हैं।
फर्जी मुकदमों में फसाये जाते हैं मगर सबकी आवाज उठाने वालों की आवाज कोई नही उठाता है? दुर्भाग्य के दो राहें पर खड़ी विखंडित पत्रकारिता सच से दूरी बनाती जा रही है! समाज के दर्द को बांटने वाला गरीब मजलूम के लिये भाग्य विधाता का काम करने वाला कलम का सिपाही वाह वाही नहीं धरातल पर उतर कर मनचाही ब्यवस्था का आगाज कराने में अपनी अहम भूमिका का भरपूर निर्वहन करता है।
समाचार संकलन के लिये जान जोखिम में डालकर हर मुसीबत झेलता है! मगर जब कहीं हादसे का शिकार हो जाता है तब लावारिश घोषित कर दिया जाता है।हम पत्रकारों की बात नहीं करते पंच सितारा होटलों में चाय की चुस्की ले कर बैठै देश की तकदीर का फैसला लिखने वालो की भी बात नहीं करते!
हम उन पत्रकारों की बात करते हैं जो बिना किसी सुख सुविधा के अपने कलम को तेवर देते हैं! सच की इबारत तहरीर करते हैं!
जिला कस्बा ग्रामीण बाजार में रहकर दुनियां के फलक पर अपने हूनर का जलवा बिखेरते हैं?।इन सरस्वती पुत्रों के साथ सरकार कदम कदम पर नाइंसाफी करती है?।
अभी तक तो किसी के साथ इंसाफ नहीं हुआ।ताजी घटना खीरीलखीम पुर जनपद में किसान आन्दोलन के समय समाचार कभर करने गये पत्रकार रमन कश्यप के साथ घटित हुयी आन्दोलन कार्डियो ने बेरहमी से पत्रकार को मार डाला क्यो की कैमरे में सच कैद हो रहा था??किसानों के साथ ही कई अन्य लोग भी मारे गये!सरकार के नुमाइंदे सियासी सीढ़ी के सरकने के डर से चार किसानों को 45-45लाख मुआवजा देने की घोषणा कर दिये! झोली भर दिये मगर पत्रकार के मामले में चुप है सरकारी अहलकार! चुप है सरकार !आखिर क्यूं?इस सवाल का जबाब हर कोई जानना चाहता है! देश के भीतर पत्रकार संगठनों के नाम पर दुकान चलाने वाले भी चुप है! आखिर क्यूं? कौन लड़ेगा इस तरह के नाइंसाफी की लडाई! कैसे मिलेगा पत्रकारों को न्याय!
सारे गिले शिकवे को भूल कर सभी पत्रकार संगठनों को एकजुट होकर अपने हक की मांग करनी होगी! वरना न जाने कितने रमन कश्यप हादसों के शिकार होते रहेंगे! और कुछ नहीं होगा?
आईये संकल्प लें हम एक‌‌ है¡ आप जहां भी हो जिस प्रान्त में हो जिस शहर में हो आवाज को बुलंदी दो रमन कश्यप को न्याय दिलाने के लिये?
आप की हुंकार से हिल उठेगी सरकार! अपनी ताकत को पहचानो!
जागों पत्रकारों भाईयों समय आप‌का इन्तजार कर रहा है।