शैलेश सिंह

बैरिया , बलिया। क्षेत्र के दूबेछपरा गंगा घाट के किनारे शुक्रवार को फूलों से सजे वाहन में महान हनुमत उपासक परम संत श्री कमलदास वेदान्ती जी का पार्थिव पहुंचते ही भक्तों की आंखें नम हो गयी। भक्तों ने वेदांती जी के पार्थिव शरीर का दर्शन-पूजन किया। वहीं साधु-संत समाधि देने की तैयारी में जुटे रहे। पूर्वांचल में शुमार परम संत श्री कमलदास वेदान्ती जी का देहावसान गुरुवार की शाम वाराणसी के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया । इसकी जानकारी मिलने के बाद से ही भक्तों में शोक की लहर है।
महान संत श्री कमलदास वेदान्ती जी मूल रूप से बैरिया तहसील क्षेत्र के सेवकटोला(सोनबरसा) गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार के रहने वाले थे। उन्होंने बीएचयू से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी। वेदांती जी का पुलिस विभाग में सब-इंस्पेक्टर पद पर चयन के बाद भी नॉकरी नही की।भक्तों के अनुसार अध्ययन काल में ही इनका झुकाव आध्यात्म की ओर होने लगा और माया-मोह को त्याग कर इन्होंने सन्यासी जीवन धारण कर हनुमान भक्ति में ऐसे रमे कि फिर चीर काल तक रमे रह गये।
वेदान्ती जी 1986 में ग्राम पंचायत केहरपुर के पुरवा गंगौली गांव और गंगा नदी के मध्य स्थित परम संत योगीबीर बाबा की समाधि स्थल व श्री रामाश्रय जी महाराज की कुटिया पर आगमन हुआ। फिर ये महान संत यही के होकर रह गये। वेदांती जी ने आश्रम पर एक हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया। 1988 में वेदांती जी का ठिकाना श्रीनगर गांव से दक्षिण गंगा तट पर हो गया। 1991 से गोपालपुर के पास गंगा किनारे आश्रम बनाकर स्वामी जी रहने लगे थे। 
प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या को हनुमत जयन्ती के अवसर पर पांच दिवसीय यज्ञ तथा विशाल भण्डारे का आयोजन स्वामी जी प्रतिवर्ष निरंतर कराते आ रहे थे। इस बीच वेदान्ती जी की कुटिया दो बार (2016-2021) गंगा में विलीन भी हुई, लेकिन उन्होंने मोक्षदायिनी का आंचल का साथ कभी नहीं छोड़ा। शुक्रवॉर को दुबे छपरा इंटर कालेज के सामने सड़क पार एक भक्त द्वारा दी गयी निजी जमीन में वेदांती जी की समाधि क्षेत्र के प्रसिद्ध संत विनय ब्रम्हचारी व जिले भर से पहुँचे संत महात्मा की उपस्थिति में क्षेत्रीय विधायक सुरेन्द्र सिंह,पूर्व विधायक सुबाष यादव,पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीनाथ सिंह नेता जी, सर्राफा व्यापार मंडल अध्यक्ष विद्या शंकर सर्राफ सहित हजारों भक्तों के मौजूदगी में नम आँखों से दी गयी।