ऐतिहासिक रामलीला में जीवंत मंचन करते कलाकार
(फाइल फोटो) दैनिक भास्कर न्यूज डाटकाम
?पिन्टू सिंह
(बलिया) यूपी के बलिया जिले का वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में अपनी पहचान बना चुकी रसड़ा की ऐतिहासिक रामलीला इस वर्ष कोरोना महामारी व गुलाबी बारिश की भेंट चढ़ चुकी है। सरकार द्वारा भारी भीड़ वाले कार्यक्रमों को न करने की सलाह पर रामलीला कमेटी ने इस वर्ष रामलीला स्थगित कर दिया है। इस ऐतिहासिक रामलीला में उमड़ने वाली लाखों की भीड़ से कोरोना महामारी व गुलाबी बारिश के मद्देनजर इस वर्ष मेला नहीं लगाने का निर्णय लिया है बावजूद कुछ औपचारिकताएं जरूर ही पूरी की जायेंगी।
इस वर्ष रामलीला नहीं लगने से जहां लाखों दर्शक रामलीला का आनंद नहीं ले पायेंगे वहीं मेला देखने के लिए जो बच्चों को पैसा मिलता था वह भी इस इस बार अभिभावकों का महगाई मे बच गया है।
?बताते चलें कि वर्ष 1830 के बाद शायद पहली दुसरी बार ऐसा हुआ कि रामलीला मैदान की विहंगम सीढ़ियां, रामलीला मैदान में अध्योध्या, अशोक वाटिका, लंका सभी पर सन्नाटा ही छाया रहा।
*?दैनिक भास्कर न्यूज डाटकाम हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेला का खबर आप सभी पाठकों तक*
? रसड़ा रामलीला का इतिहास
रामलीला का इतिहास अति प्राचीन है। बड़े बुजुर्गों के अनुसार वर्ष 1830 में नगर के बरनवाल जाति के पुरखा पुरंदर लाल ने सर्व प्रथम रामलीला का आयोजन किया था।
बाद में चलकर इस रामलीला का नेतृत्व कलवार जाति के हाथों में सौपा गया।
?1921 में नगर के निवासी सीताराम ने रामलीला की पूरी कमान अपने हाथों में ले ली और लगभग 25 वर्षों तक लगातार अपने प्रयास से रामलीला का आयोजन करते रहे।
तत्पश्चात रामली कमेटियों के माध्यम से रामलीला का आयोजन प्रतिवर्ष होता आ रहा था। सीताराम के सहयोग से भैरो बाबा ने बड़े गोपनीय तरीका से रामलीला मैदान में एक सुरंग का निर्माण भी कराया था।
इस सुरंग का उपयोग सती सुलोचना प्रसंग में किया जाता है जो आज भी दर्शकों व मेलार्थियों के लिए डिजिटल युग में कुछ समय के लिए रहस्य बन जाती है।
विजय दशमी के दिन नगर में स्थापित 60 से अधिक दुर्गा प्रतिमाओ का जुलूस भी अपने विभिन्न कलाओ का प्रदर्शन करते हुए नगर के विभिन्न रास्ते से होकर कलाकारों के साथ रामलीला मैदान में पहुंचती है। वैसे तो इस रामलीला की सभी कार्यक्रम लोगों को भाव-विह्वल कर देते हैं किंतु रामलीला में पात्रों द्वारा की गई जीवंत लीलाओ का मंचन इसे ऐतिहासिक बनाती है। मगर गुलाबी बारिश के चलते इस वर्ष की रामलीला भले ही नहीं लगे किंतु जो इस रामलीला की विशेषता, भव्यता, जनसैलाब एवं मनोरजंन है वह लोगों के दिलों में रचा-बसा रहेगा।