रिपोर्ट, कुलदीप सिंह 

(महराजगंज) आजमगढ़। आम जनमानस को सुरक्षित व प्रभावी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर पाबंदी लगाने व विशेषज्ञ प्रशिक्षित चिकित्सकों से इलाज कराने के लिए भले ही निर्देश जारी किया जाता है, किंतु स्वास्थ्य महकमा जिनके भरोसे लोगों के सुरक्षित इलाज की उम्मीद करता है, जब वही लोग आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए इलाज की कमान अप्रशिक्षित हाथों में सौंप दें तो परिणाम का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है । ऐसा ही कुछ मामला महराजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर देखने को मिला जहां प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के रसोइए द्वारा लोगों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगाते हुए वीडियो वायरल हो रहा है । वायरल वीडियो के संबंध में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा० अविनाश झा से जब पूछा गया तो पहले तो डॉ साहब रसोईयां द्वारा इंजेक्शन लगाने की बात से साफ इंकार करते हुए इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया पर पत्रकार के सवाल को उसके आपत्ति से जोड़ दिया, फिर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हमारे अस्पताल पर मरीजों का बहुत अधिक लोड है, ऐसे में यदि मेरे द्वारा उससे सेवा ली जा रही है, तो इसमें बुराई क्या है, इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि संबंधित व्यक्ति को मेरे द्वारा प्रशिक्षित किया गया है, वह इन्जेक्शन लगा सकता है, सिर्फ इतना ही नहीं अधीक्षक साहब ने तो पत्रकार के सवाल को मुजरिमों की तरह कटघरे में खड़ा करते हुए परशुरामपुर में डॉक्टर न होने की बात करते हुए पत्रकार से ही डॉक्टर आपूर्ति की मांग कर दी, पत्रकार के सवाल पर अधीक्षक साहब के जवाब पर ज़ब सवाल खड़ा होने लगा तो वे पत्रकार को अस्पताल आकर सवाल पूंछने की बात कहते हुए रसोईयां का इंजेक्शन लगाना उचित ठहराया, और अस्पताल पर मरीजों की अधिकता का हवाला देते रहे, ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य केंद्र पर तीन -तीन फार्मासिस्ट और दर्जनों स्वास्थ्य विशेषज्ञों के तैनाती की जरूरत ही क्या है, और ऐसे जिम्मेदार लोग क्षेत्र के चट्टी-चौराहों पर प्रतिस्थापित झोलाछाप डाक्टरों तथा शासन की मंशा के विपरीत संचालित हो रहे चिकित्सालयों व मेडिकल स्टोरों पर आखिर कैसे प्रभावी कार्यवाही करेंगे ।