(केराकत) जौनपुर। केराकत तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांवो के किसानो ने समाजसेवी अजीत सिंह के आवाहन पर सड़क मुवावजे को लेकर चंदवक के आईटीआई कालेज में रविवार की दोपहर 12 बजे महा पंचायत का आयोजन किया । इस दौरान क्षेत्र के किसान अपने मुवावाजे को लेकर पंचायत में अपनी बात रखी, और अगली रणनीति पर विचार किया, वहीं वक्ताओं ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के द्वारा पंचायत को लेकर सुकृति प्रदान नही की है। किसानों का यक्ष सवाल यही है कि सांसद को होली मिलन की परिमिसन मिल सकती है, पर किसानों को अपने हक की बात रखने के लिए मंच भी न दिया जा रहा है, आखिर ये अंधेरगर्दी नहीं है तो क्या है? गौरतलब हों कि वर्ष 2012 में वाराणसी से गोरखपुर के लिए नेशलन हाइवे का निर्माण कराया जा रहा है, जिस कारण सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण किया जा रहा था। जिसको लेकर चंदवक क्षेत्र के किसानो का आरोप है कि वाराणसी जिले को ए श्रेणी में रखा गया है, और आजमगढ़ को बी श्रेणी में रखा गया है, वही जौनपुर को सी श्रेणी में रखा गया है, जिस कारण मुवावजे की रकम कम है, जिसको लेकर किसानो में आक्रोश है, मामला तुल पड़का तो हाई कोर्ट पहुंच गया तब से लेकर आज तक किसान मुवावजे की आस लगाए बैठे हुए हैं, इसी बीच क्षेत्र में अपनी समाजसेवा के बदौलत अपनी एक अलग पहचाने बनाने वाले अजीत सिंह को जब यह इस मामले की जानकारी हुई तो तत्काल दिल्ली दरबार पहुंच किसानो की समस्या से अवगत कराया, जिसके बाद नेशनल हाईवे ने हाई कोर्ट में पैरवी कर तारीख की मांग की जिसपर हाई कोर्ट ने 21 मार्च की तारीख तय की। तत्पश्चात अजीत सिंह ने किसानो का आह्वान कर पंचायत बुलाई, ताकि कोर्ट की तारीख पर किसानो के साथ मिल रणनीति बन सके।
किसानो के हित को लेकर की जा रही है पंचायत: अजीत सिंह
पंचायत को लेकर प्रशासन द्वारा परमिशन न मिलने को लेकर जब अजीत सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि धारा 144 बताकर पंचायत का परमिशन नहीं दिया गया, जबकि कुछ ही दूरी पर ईसाई धर्म प्रचार के लिए सप्ताह के हर मंगलवार और रविवार को लगभग 5000 की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं, तब वहां धारा 144 का हवाला नहीं दिया जाता है, होली के बाद सांसद बीपी सरोज का होली मिलन कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें लगभग हजार से ज्यादा लोग कार्यक्रम में सम्मिलित होते हैं, तब धारा 144 का हवाला नहीं दिया जाता है, मगर जब किसान के हित की बात को लेकर पंचायत रखा जाता है, तब प्रशासन 144 धारा का हवाला देकर कार्यक्रम के लिए परमिशन नहीं देती है। उन्होंने कहा कि 21 मार्च को किसानों को हाईकोर्ट पेश होना है, और चल रहे केस पर किसान को अपना विचार लगाने को कहा गया है, ऐसे में अगर किसान एक साथ एकजुट नहीं होंगे तो 112 पन्ने वाला नोटिफिकेशन को कौन समझाएगा, इन्हीं सब बातों को लेकर किसानों को बुलाकर पंचायत की जा रही है। हम सब मिलकर इस पंचायत को सफल बनाते हुए किसानो की मदद करेंगे जिससे सड़क निर्माण देश हित के लिए है,
पंचायत को लेकर परिमिशन नही दिया गया : उपजिलाधिकारी
किसानों के महा पंचायत को लेकर जब एसडीएम नेहा मिश्रा से टेलीफोनिक वार्ता की गई, तो उन्होंने कहा कि पंचायत के कार्यक्रम को लेकर परिमिशन नही दिया गया है, क्योंकि की किसी भी कार्यक्रम के लिए पुलिस फोर्स की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए पुलिस की अनुमति जरूरी होती है मगर पंचायत को लेकर पुलिस की अनुमति नहीं मिली है, जिस कारण परिमिशन नही दिया गया है। किसानों के लिए ही सारे प्रोटोकाल नियम धारा 144 हैं