बेतिया। प्रशांत किशोर ने महाराजगंज में मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान शिक्षा व्यवस्था पर हमला करते हुए कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को यदि आप एक लाइन में समझना चाहते हैं जो सच्चाई भी है कि लोगों की नजर में स्कूलों की परिकल्पना खिचड़ी बांटने के सेंटर के रूप में है और कॉलेज डिग्री बांटने का सेंटर है पढ़ाई दोनों में कही नहीं हो रही है। वहीं स्कूलों में जो बच्चे हैं, जो शिक्षक हैं और जो व्यवस्था है उसमें कहीं कोई समायोजन नहीं हैं। जहां शिक्षक हैं, वहाँ बिल्डिंग नहीं है, जहां बिल्डिंग है वहाँ शिक्षक नहीं हैं और जहां दोनों हैं वहाँ बच्चे नहीं हैं। समायोजन न होने की वजह से बिहार में उत्क्रमित स्कूल और नियोजित शिक्षकों के आधार पर एक शिक्षा व्यवस्था बनाई गई है, जिसके मूल मे पढ़ाई नहीं है। स्कूल और शिक्षक सरकारी योजनाओं को बांटने का माध्यम मात्र है। यही हाल कॉलेज का भी है, कॉलेज मे बिल्डिंग है, शिक्षक हैं और बच्चे भी हैं लेकिन पढ़ाई वहाँ भी नहीं हो रही है। कॉलेज में बच्चे एक बार नामांकन के लिए जाते हैं, एक बार बीच में जाते हैं और एडमिट कार्ड लेकर परीक्षा देते हैं। फिर डिग्री लेकर निकल जाते हैं। डिग्री भी 3 साल की जगह 5-6 सालों में मिलती है।
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