बेतिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की 103 वी जन्म दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद ने महात्मा गांधी, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान एवं विश्व भर में अपनी मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 17 मार्च 1920 को शेख मुजीबुर रहमान का जन्म हुआ था उनका सारा जीवन समाज के लिए समर्पित रहा ।भारत की स्वाधीनता एवं विभाजन के बाद वह मानवीय कार्यों में लगे रहे ।फरवरी 1952 को ढाका में छात्रों एवं आम लोगों ने तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार द्वारा बंगला को राष्ट्रीय भाषा के रूप में नकारने और उर्दू की एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने के विरोध में सड़कों पर उतर आए। जिसमें अमर शहीद शहीद-ए-आजम सलाम, स्वर्गीय बरकत, स्वर्गीय रफीक, स्वर्गीय जब्बार एवं कुछ अन्य बहादुर पुत्र पुलिस की गोलीबारी में वीरगति को प्राप्त हुए। बंगाली लोगों के अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित करना था, जो अंततः 1971 में एक निरंतर युद्ध मुक्ति के माध्यम से बांग्लादेश की मुक्ति के लिए अग्रणी था। भाषा आंदोलन ने बंगला को अपनी मातृभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की और राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के करिश्माई नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्य हिंसा एवं आपसी प्रेम के सिद्धांत द्वारा ही संभव हो पाया। बांग्लादेश अपनी स्वतंत्रता की 52 वी वर्षगांठ एवं बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की 103 वी जन्म मनाया जा रहा है। इस अवसर पर पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से कहा कि महात्मा गांधी एवं शेख मुजीबुर रहमान के विचारों से ही दक्षिण एशिया समेत पूरे विश्व में स्थाई शांति आ सकती है।