(वरुण सिंह)

लखनऊ । समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ‘पिछड़ा वर्ग, दलित, अल्पसंख्यक’ एकजुटता पर जोर दे रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में राज्य के करीब आधा दर्जन प्रमुख ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेताओं ने की नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का दामन थाम लिया है, सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पूर्व सांसद राजपाल सैनी, पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी, पूर्व विधायक सुषमा पटेल और 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के खिलाफ सपा की उम्मीदवार रहीं शालिनी यादव समेत कई प्रमुख ओबीसी नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं, ओबीसी नेताओं के इस कदम को सपा के लिए झटका माना जा रहा है, लेकिन सपा का दावा है कि इससे उस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “भाजपा में कोई संभावना नहीं है, सत्ता का लालच और दबाव देकर कुछ राजनीतिक अवसरवादियों को भाजपा ने जरूर तोड़ा है, लेकिन जनता सब समझती है, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा गठबंधन में ‘उचित स्थान’ नहीं मिलने से नाराज पिछड़ा वर्ग के नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, क्योंकि भाजपा “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के नारे पर चलते हुए ओबीसी नेताओं को महत्व दे रही है, इसके अलावा दारा सिंह चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “सपा छोड़ने की एक नहीं, अनेक वजहें हैं, ओबीसी समुदाय का भरोसा प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में है, मोदी-शाह ओबीसी समुदाय को सम्मान दे रहे हैं, सरकार में वन मंत्री रह चुके चौहान मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से 2022 में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे,भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है,

पूर्व सांसद राजपाल सैनी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैं सांसद, मंत्री और विधायक रह चुका हूं, 2022 के विधानसभा चुनाव में मुझे खतौली (मुजफ्फरनगर) से बहुत कम मतों के अंतर से हार मिली थी, लेकिन उपचुनाव में मेरा टिकट काट दिया गया, नगर निकाय चुनाव में भी मेरी उपेक्षा की गई, मैंने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि भविष्य भाजपा का ही है,”

सैनी ने कहा, “कांशीराम (बसपा संस्थापक) ने नारा दिया था-“जिसकी जितनी संख्या भारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी” और इस नारे पर अगर कोई सही मायने में अमल कर रहा है, इस बीच, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावी महान दल के भी राजग में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं, हालांकि, महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने फिलहाल गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने साफ कहा है, “हमारा संघर्ष सत्ता के लिए है, और अगर भाजपा में उचित मौका मिले, तो हम गठबंधन कर सकते हैं, केशव देव मौर्र 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सपा गठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन बाद में वह उससे अलग हो गए थे, ओबीसी नेताओं का दावा है कि राज्य में ओबीसी समुदाय की आबादी 56 फीसदी तक है, हालांकि, हाल के निकाय चुनाव से पहले बनाए गए एक आयोग ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा था कि प्रदेश के सभी 762 नगर निकायों में पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.77 फीसदी के आसपास ही है।