(बलिया)सावन के पांचवें सोमवारी को क्षेत्र के विभिन्न देवाधिदेव महादेव के मंदिरों पर पूजा अर्चन व बाबा को जलाभिषेक करने के लिये श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब।
इसी क्रम में ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल लखनेश्वर डीह किला स्थित बाबा लखनेश्वर महादेव मंदिर पर अर्धरात्रि से ही श्रद्धालु महिला, पुरुष व युवतियों का आना जाना शुरू हो गया।
इसी क्रम में छोटी काशी के नाम से सुविख्यात रसड़ा नगर के ठाकुरबाड़ी में 200 वर्ष पूर्व 1823 में निर्मित ठाकुरजी महादेव मंदिर सदियों से आस्था व श्रद्धा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। मुख्यतौर से श्रावण मास, जन्माष्टमी, रामनवमी, नागपंचमी व शिवरात्रि में गैर जनपदों के अलावे दूर-दराज से भक्तों का रेला लगा रहता है।
बताते चलें कि मंदिर का इतिहास
200 वर्ष पूर्व इस प्राचीन मंदिर का निर्माण दो भाईयों दुखी भगत व शालिक भगत द्वारा कराया गया। जनश्रुतियों के अनुसार उस समय दुखी भगत के यहां एक दर्जन की संख्या में विद्धान व ब्राम्हमणों ने उक्त मंदिर स्थल पर मंदिर निर्माण कराये जाने का आग्रह किया। तत्पश्चात यहां ठाकुरजी महादेव का भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।
उस समय मंदिरों की संख्या काफी कम होने से दूर-दराज से श्रद्धालु यहां आकर पूजन-अर्चन करने लगे। मंदिर की विशेषता
ठाकुर जी महादेव मंदिर पर सच्चे मन से बाबा के दरवार में मत्था टेकने वालों के सम्पूर्ण मनोरथ तो बाबा पूर्ण करते ही है, संकट की घड़ी में साक्षात् उनकी मदद भी करते है। कई ऐसे उदाहरण है जिन्हें याद कर आज भी इनके भक्त भाव विह्वल हो जाते है। यही कारण है कि हमेशा ही महिला, पुरुष, युवतियां व बच्चे आदि श्रद्धालुओं का रेला हर समय लगा रहता है।