आजमगढ news-भाजपा अगर सच मे पसमांदा मुसलमानों की हितैषी है तो अनुच्छे 341(3) से धार्मिक प्रतिबंध हटाए- नुरुल हुदा – कौन्सिल ने 10 अगस्त को मनाया अन्याय दिवस

देवगांव, आजमगढ। 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एक विशेष अध्यादेश द्वारा संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगाकर मुस्लिम व ईसाइ दलितों (अनुसूचित जाति) से आरक्षण छीने जाने के विरूध्द राट्रीय ओलमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष यूथ नुरुल हुदा के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पर प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। इस अवसर पर प्रेस को जारी बयान में राट्रीय ओलमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष यूथ नुरुल हुदा ने कहा कि आजादी का पहला उद्देश्य था के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था। धर्म, जात, वर्ग, नस्ल, लिंग के भेदभाव के बिना सभी वर्गों के पिछडेपन को दूर करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उन्हे आरक्षण की सुविधा दी गई जो सदियों से अन्याय के शिकार रहे। परन्तु जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस सरकार ने समाज के विभिन्न दलित वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए संविधान में आरक्षण से सम्बंधित अनुच्छेद 341 में प्रेसीडेंशियल आर्डर ला कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगा दिया और धर्म विशेष को छोड़ समाज के अन्य धर्मों से सम्बन्ध रखने वाले दलितों को 1936 से मिल रहे आरक्षण को छीन लिया जो कि भारतीय संविधान के मूलभूत सिध्दानतों के ही विरूध्द था। नुरुल हुदा ने कहाकि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण नही देता तो धर्म के आधार पर आरक्षरण छीना कैसे जा सकता है? परन्तु यह निंदनीय है कि जवाहर लाल नेहरू की नेतृत्व वाली सरकार ने 10 अगस्त 1950 को एक अध्यादेश पास कर अनुच्छेद 341 में यह शर्त लागू कर दी कि हिन्दु धर्म को छोड़ अन्य धर्म को मानने वाले अनुसुचित जाति के सदस्य नही माने जाऐंगे और इससे भी घिनौनी राजनीति का परिचय देते हुए प्रथम प्रधान मंत्री ने कहा कि यदि ये मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म छोड़ कर हिंदू धर्म अपनाते हैं तो इनको एसएसी-एसटी एक्ट लाभ प्राप्त होगा अर्थात वह अनुसुचित जाति को मिलने वाले आरक्षण के योग्य नही होंगे। प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल इस अन्याय के विरूध्द पहले दिन से आवाज उठा रही है और इस मांग को लेकर देश भर में आज के दिन आंदोलन कर रही है, पार्टी ने 2014 में जंतर मंतर पर 18 दिन तक भूख हड़ताल व धरना देकर यूपीए सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर हमारी बात को नहीं माना गया तो किसी भी दिशा में उसे दुबारा सत्ता में आनें नहीं देंगे जिसमें हम सफल भी रहे। चूंकि आज ही के दिन 10 अगस्त 1950 को पंडित नेहरू ने सांप्रदायिकता पर आधारित इस अध्यादेश को जारी किया था। ज़िला अध्यक्ष नोमान अहमद ने कहा कि इसलिए आज हम इस धरने के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की र्वतमान केन्द्रीय सरकार से यह मांग करते हैं कि वह संविधान के अनुच्छेद 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटा कर दलित मुसलमानों व ईसाइयों के आरक्षण के संवैधाकि अधिकार को बहाल करके सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के अपने वादे को पूरा करे वरना उनका भी हश्र कांग्रेस की तरह ही होगा। आज कल भाजपा पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है, अगर वो सच में इस तबके के हितैशी हैं तो इस प्रतिबंध को तत्काल हटाकर इस वर्ग को न्याय दें। इस अवसर पर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल की ओर से प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को सम्बोधित एक ज्ञापन भी जिला प्रशासन को सौंपा गया। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से शकील अहमद ज़िला प्रभारी, नोमान अहमद ज़िला अध्यक्ष आजमगढ, आरिफ विधान सभा अध्यक्ष, फैसल, नवीन राय, अब्दुल्ला अंसारी, महेश प्रजापति, अदनान, राकेश चौरसिया, प्रभाकर सिंह, अशरफ, आदिल सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।