AZAMGARH: रजादेपुर मठ के मठाधीश शिवसागर भारती का क्यों जानी दुश्मन बना है शिक्षा माफिया? कहीं विद्यालय व अरबों की जमीन का मामला तो नहीं ::::

रिपोर्ट, आनंद
आजमगढ़ । सिद्धपीठ रजादेपुर मठ के मठाधीश शिवसागर भारती को अपनों से ही जान का खतरा बना हुआ है, मठाधीश ने अपने विद्यालय श्री सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य वीरेंद्र कुमार मिश्रा व स्टाफ के खिलाफ शासन में पत्र भेजकर अपनी जान का खतरा बताया है, बता दें कि कुछ रोज दिन पहले मठ की दान पेटी को लेकर भागने का मुकदमा थाने के होमगार्ड ने पूरे विद्यालय के स्टाफ पर लिखवाया है, रही बात मठ के मठाधीश के जान के खतरे की तो यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि मठ के मठाधीश शिवसागर भारती द्वारा भेजे गए मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को प्रार्थना पत्र में है, प्रार्थना पत्र में मठाधीश ने लिखा है, कि विद्यालय के प्राचार्य सहित स्टाफ के लोग हमारे विद्यालय को हड़पना चाहते हैं, साथ ही मठ के अरबों की जमीन पर भी निगाहे लगाए हुए हैं, मठाधीश का कहना है कि समाज के लोगों ने हमें महंत बनाया, मठाधीश बनने के बाद जब हम मठ की व्यवस्था को सुधारने लगे, तो यह लोग हमारे जान के दुश्मन बन गए, और यहां तक पता चला है, कि यह लोग मठ के विद्यालय पर भी कब्जा कर विद्यालय में फर्जी नियुक्तियां कराना चाहते हैं, बरहाल जो भी हो शिवसागर भारती को उनके अनुयाई व समाज के लोग मठाधीश मान चुके हैं, उनके जितने अनुवाई हैं, मठ पर आते हैं, और उनसे दीक्षा भी लेने का कार्य करते हैं, बता दें कि सिद्धपीठ रजादेपुर मठ की परंपरा करीब 200 साल पुरानी है, तथा यह देश की प्रसिद्ध सिद्धपीठों में शुमार है, इस मठ की शाखाएं देश के कोने-कोने में फैली हुई है, जिसके लाखों शिष्य हैं, वर्तमान में महंत शिवसागर भारती इस मठ के महंत एवं मठाधीश हैं, महान सन्त बुढउ बाबा के कार्यकाल में रजादेपुर मठ को सिद्धपीठ के विभूषण से अलंकृत किया गया था, इस पीठ पर आसीन होने वाले संत महंत/सन्यासी कहे जाते हैं,
यह सिद्ध पीठ उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ दोहरीघाट राजमार्ग पर जीयनपुर से उत्तर तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यह मठ लगभग दो सौ बरस पुराना है, जिसकी चर्चा विदेशों में भी भारतीय दर्शन के शिक्षा ज्ञान के रूप में होती है, इस मठ के महान सन्त बुढउ बाबा के बारे में प्रचलित कथा है, कि इस मठ पर एक सिद्ध फकीर आकर बाबा से अपने चम्बल को चावल से भरने के लिए कहा, दानप्रिय बाबा ने एक मुठी चावल उठाकर चम्बल में भरना शुरू किया, परन्तु न तो चम्बल भरता था, और ना ही चावल की धार टूटती थी, कुछ क्षण पश्चात बाबा ने चम्बल की तरफ दृष्ठिपात किया चम्बल टुकड़े-टुकड़े होकर विदीर्ण हो गया, और चावल का ढेर लग गया, इस घटना को देखकर फकीर बुढउ बाबा के चरणों पर गिरकर क्षमा माँगने लगा, ततपश्चात बाबा जी ने क्षमा करते हुए उसको चावल और चम्बल देकर विदा किया, एक और जनश्रुति है कि करखियाँ गाँव में एक महात्मा आकर ग्रामवासियों को अपने हाथ उठाकर गाँजा मंगा देता था, धीरे-धीरे उसकी ख्याति बढने लगी यह सम्पूर्ण गाँव बुढउ बाबा जी के शिष्य है, किन्तु वह महात्मा सबको गाँजा पिलाकर अपना शिष्य बनाने लगा, इस घटना की जानकारी किसी शिष्य ने बाबाजी को दी, बाबाजी ने वहाँ पहुँचकर उस महात्मा से गाँजा पीने की इच्छा प्रकट की, और वह महात्मा गाँजा लेने के लिए अपना हाथ ऊपर किया, परन्तु न तो उसके हाथ में गाँजा आता था, और न ही हाथ नीचे आता था, फिर क्या था महात्मा लच्जित होकर बाबा के चरणो पर गिरकर क्षमा याचना माँगने लगा, बाबा ने उसको क्षमा करके उसकी सिद्धि वापस देकर विदा किया, बाबा जी के शिवलोक वासी होने के पश्चात महान संत महात्मा श्री शिव गुलाम भारती जी का आगमन हुआ, श्री शिव गुलाम भारती जी महाराज राजर्षि स्वभाव के तथा कवि के रूप में और राजनीति तथा धार्मिक रूचि इनके अन्दर थी, श्री शिव गुलाम भारती जी ने रामराज्य परिषद के तले चुनाव भी लड़ा था, इसके पश्चात शिवकुमार भारती जी का रजादेपुर मठ के महंत के रूप में चयन किया गया, शिवकुमार भारती जी उच्चकोटि के सन्त अति विद्धान एवं विनम्र थे, पूर्व महंत श्री शिवगुलाम भारती जी ने श्री सन्यासी संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की जिसमें क्षेत्र के अतिरिक्त देश-विदेशों से भी छात्र भारतीय संस्कृति की शिक्षा लेने आते हैं, छात्रों के रहन-सहन की व्यवस्था रजादेपुर मठ प्रबंधन के द्वारा की जाती है, इसके पश्चात शिवहर्ष भारती जी का चयन पाँच वर्ष की आयु में ही महन्त पद के लिए कर दिया गया था, महन्त जी शिवहर्ष भारती जी का जन्म सवत् 2005 के फाल्गुन मास की एकादशी तिथि दिन बुधवार को लालघाट के पश्चिम दिशा में स्थिल ब्रह्मपुर ग्राम में हुआ था, इनके पिता स्वर्गीय सुदामा प्रसाद द्विवेदी संत प्रवृति के गृहस्थ थे, महन्त शिवहर्ष भारती जी की शिक्षा स्मित इण्टर कालेज अजमतगढ़ में हुई थी, कुछ दिन पश्चात चचाइराम मठं उरूवा बाजार गोरखुपर में भी इनकी शिक्षा हुई, सन् 1964 में शिवगुलाम भारती जी का स्वर्गारोहण हुआ तथा संवत् 2026 के 8 मार्च को महन्त शिवकुमार भारती जी भी शिवलोक वासी हो गये, ग्यारह वर्ष की अल्पायु मे ही शिवहर्ष भारती जी को मठ का महन्त नियुक्त किया गया था, शिवहर्ष भारती जी ने धीरे-धीरे अपने मठ के सारे दायित्वों को सम्हालते हुए एवं मठ के विकास के लिए प्रयत्न प्रारम्भ किया, सन् 2020 जुलाई के महीने में महंत शिवहर्ष भारती का भी निधन हो गया, इसके पश्चात जनमत द्वारा रजादेपुर मठ के शिष्यों एवं प्रशासन के सहयोग से शिवसागर भारती को रजादेपुर मठ का महंत नियुक्त कर दिया गया है, वर्तमान समय में रजादेपुर मठ के शिवसागर भारती ही एक मात्र महंत हैं, कम उम्र एवं बाल रूप महंत होने के बावजूद भी शिवसागर भारती जी धार्मिक क्षेत्र में धर्म के प्रचार-प्रसार एवं मठ के उत्थान हेतु निरंतर प्रयास करते रहते हैं, महंत शिवसागर भारती जी द्वारा समय-समय पर यज्ञ, हवन, भंडारे एवं श्री राम कथा जैसे कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी रजादेपुर मठ पर किया जाता है, वर्तमान महंत शिवसागर भारती जी के मन में सनातन एवं हिंदू धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा तथा दृढ़ निश्चय एवं निस्वार्थ सेवा भाव भरा हुआ है, महंत शिवसागर भारती जी मठ के विकास को लेकर सदैव ही प्रयत्नशील एवं चिंतित रहते हैं, मगर यह निस्वार्थ सेवा भाव मठ के कुछ विरोधियों को रास नहीं आ रहा है, जो रजादेपुर मठ एवं महंत शिवसागर भारती के विरुद्ध निरंतर षड्यंत्र रचने में लगे रहते हैं, इसी को देखते हुए वर्तमान समय में पुलिस प्रशासन द्वारा दो पुलिसकर्मियों की 24 घंटे ड्यूटी लगाई गई है, आने वाले समय में महंत शिवसागर भारती जी के संरक्षण में रजादेपुर मठ एक भव्य एवं विश्व विख्यात पीठ के रूप में निखरता हुआ नजर आ रहा है।