Pintu singh
(बलिया) : स्वास्थ्य विभाग मरीजों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए कितना संवेदनशील है इसका सहज ही अनुमान जनपद मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर रसड़ा स्वास्थ्य केंद्र के वर्तमान स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है।
इस महत्वपूर्ण अस्पताल की हालत यह है कि चिकित्सकों के भरोसे सैकड़ों मरीजों को इलाज के नाम पर उनके जान से खिलवाड़ ही किया जा रहा है। वैसे तो यहां वर्षों से यहां एमडी, फिजिशयन सर्जन व विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी रही है किंतु वर्तमान में बाल रोग विशेषज्ञ सहित अन्य गंभीर बीमारियों को देखने के लिए चिकित्सक नहीं हैं।
नतीजा यह हो रहा है कि लोग इलाज के लिए आ तो रहे हैं किंतु चिकित्सकों के अभाव में उन्हें मऊ, वाराणसी आदि को जाना पड़ रहा है और कभी-कभी तो समय पर इलाज न मिल पाने के कारण मरीज रास्ते में अपनी जान भी गवां रहे हैं ।
वरिष्ठ चिकित्सक एजी अंसारी तथा बाल रोग विशेषज्ञ डा. पीसी भारती का ग़ैर जनपद स्थातरण होने के बाद से ही बार बार उप मुख्यमंत्री वृजेश पाठक सहित मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया को ध्यान आकृष्ट करानें व जनहित में समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद भी चिकित्सकों की कमी का हवाला देते हुए अपने दायित्व पूरा कर ले रहे हैं किंतु जिन परिस्थितियों में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज से वंचित हो रहे हैं ये परिस्थितियां कहीं न कहीं विभाग व शासन की भारी उदासीनता व लापरवाही का हाल बयां करने के लिए काफी हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीएम बलिया रविन्द्र कुमार ने इस महत्वपूर्ण सीएचसी का औचक निरीक्षण किया था जिसमें 12 स्वास्थ्य कर्मी कागजों में उपस्थित थे मगर धरातल पर अनुपस्थिति रहें हालांकि डीएम बलिया ने एक दर्जन स्वास्थ्यकर्मी का वेतन रोकने और स्पष्टीकरण का आदेश दिया था।
बावजूद इसके हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज़ पर फार्मासिस्ट, पंकज कुमार , नेत्र परीक्षण अधिकारी अजय भारती,लिपिक शिवम् शर्मा अभी भी उपस्थिति रजिस्टर में उपस्थित हैं मगर धरातल पर दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं पड़ते इस समस्या से गुरुवार को अधीक्षक वीपी यादव को अवगत कराया गया तो उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर में अनुपस्थित किया और संवाददाता से कहा कि जल्द ही लेटर इनके खिलाफ जारी करते हैं।
यदि विभाग इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान करने में असफल साबित होता है तो निश्चित रूप से यहां पर जन आंदोलन को लोग विवश होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।
एक चिकित्सा कर्मी की बातों पर यकिन करें तो पहले यहां ओपीडी में 800 से 1000 मरीजों का इलाज होता था किंतु चिकित्सकों के अभाव में अब मात्र 100-150 तक की सिमट जा रहा है जो काफी चिंता का विषय है।
बताते चले कि यह अस्पताल रसड़ा क्षेत्र सहित गाजीपुर के आंशिक क्षेत्रों के अलावा रतनपुरा, पकवाइनार, चिकलहर के अतिरिक्त लाखों की आबादी वाले रसड़ा की स्वास्थ्य रक्षा करता चला आ रही है किंतु विभागीय उदासीनता व राजनीतिक पहल के अभाव में यह अस्पताल आज अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है जो किसी भी सूरत में रसड़ा के लोगों व मरीजों के लिए ठीक नहीं है।