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आजमगढ़ सदर लोकसभा सीट से भाजपा ने जहां अपने सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं सपा ने धर्मेंद्र यादव पर दोबारा दाव लगाया है, वही बसपा अकबर अहमद डंपी को प्रत्याशी बना सकती है,? अगर प्लान के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव काफी दिलचस्प होगा, कारण कि आजमगढ़ में एक तरफ जहां बड़ा मुस्लिम चेहरा होने का डंपी को फायदा मिलेगा, अगर डंपी को बसपा मैदान में उतारती है तो आजमगढ़ में त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है, लोगों का कहना है कि इस बार आजमगढ़ सीट पर मुकाबला कड़ा रहने वाला है, सपा ने भाजपा की घेराबंदी के लिए बसपा के पिछले उम्मीदवार गुड्डू जमाली को अपने पाले में लाकर लड़ाई आसान करने की कोशिश जरुर की है, लेकिन भाजपा का गठबंधन ओमप्रकाश की पार्टी से गठबंधन हो जाने के बाद भाजपा ने अपने वोटों में बढ़ोतरी जरूर कर लिया है, सूत्रों की मानें तो बसपा एक बार फिर अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतार सकती है, कारण कि एक जमाने में रमाकांत यादव की तूती बोलती थी, रमाकांत यादव वर्ष 1985, 1989, 1991 व 1993 में फूलपुर पवई विधानसभा से लगातार विधायक चुने गए थे, इसके बाद वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर वे सांसद चुने गए थे, वर्ष 1998 के लोकसभा चुनावमें बसपा ने मुस्लिम दाव खेला और संजय गांधी के करीबी बाहुबली अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतार दिया, वहीं सपा ने फिर बाहुबली रमाकांत पर दाव लगाया, यह आजमगढ़ का अब तक का सबसे चर्चित चुनाव रहा, इस चुनाव में डंपी ने सीधे तौर पर रमाकांत को टार्गेट किया, डंपी के डायलाग देश में सिर्फ दो गुंडे हुए एक संजय गांधी और दूसरा अकबर अहमद डंपी, ये तीसरा रमाकांत कौन है, इस दौरान डंपी ने खुले मंच से बाहुबली रमाकांत के बारे में अपशब्द बोले, अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दोनों के बीच इतनी तल्खी बढ़ गई थी कि जब 17 फरवरी 1998 को रमाकांत यादव और डंपी अंबारी चौक पर आमने सामने हुए तो असलहे निकले, और दोनों तरफ से सिर्फ हवाई फायरिंग हुई, डंपी के अपने अलग अंदाज का नतीजा रहा कि रमाकांत विरोधियों को अपने पक्ष में लामबंद करने में सफल रहे और 2.53 लाख वोट हासिल कर चुनाव जीत लिया, रमाकांत यादव को 2.48 लाख वोट मिले, वर्ष 1999 के चुनाव में भी दोनों उसी तेवर के साथ मैदान में उतरे, लेकिन इस बार बाजी रमाकांत यादव के हाथ लगी, रमाकांत यादव 2.22 लाख वोट पाकर विजयी रहे, इसके बाद दोनों का वर्ष 2008 के उपचुनाव में रमाकांत को हराते हुए जीत हासिल किया था ऐसे में अगर बसपा ने अकबर अहमद डंपी को टिकट दे दिया तो आजमगढ़ में त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है ।