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आजमगढ़ । हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार मार्कण्डेय जी की जीवन संगिनी एवं आज़मगढ़ की प्रतिष्ठित चिकित्सक डा. स्वस्ति सिंह की माँ विद्यावती जी का 94 साल की उम्र में 18 अगस्त 2024 दिन रविवार को निधन हो गया है । विद्यावती जी के निधन की खबर मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई, बता दें कि विद्यावती जी न सिर्फ जीवन बल्कि मार्कण्डेय जी के रचनात्मक व्यक्तित्व के निर्माण में भी बराबर की हिस्सेदार थी, विद्यावती जी का जन्म और प्रारम्भिक शिक्षा कोलकाता में हुई थी, अपने पिताजी के सेवानिवृत्त होने के बाद वे वाराणसी जिले में स्थित अपने गाँव रजला आ गयीं । विवाह के पश्चात वे मार्कण्डेय जी के साथ रहने 2 डी मिण्टो रोड, इलाहाबाद आ गयीं। 2 डी मिण्टो रोड लेखकों का बड़ा केन्द्र था। वहां लेखकों का जमघट होता रहता था। इन लेखकों के सादर-सत्कार की पूरी जिम्मेदारी विद्यावती जी अकेले निभाती थीं। नागार्जुन, राम विलास शर्मा, नामवर सिंह समेत कई लेखक वहाँ अक्सर रुकते थे। कई लेखकों ने अपने संस्मरणों में विद्यावती जी के आवभगत और व्यवहार कुशलता का जिक्र किया है। विद्यावती जी ने एक अनुशासित जीवन जिया। रचना जगत व सांस्कृतिक क्षेत्र की कई पीढ़ियों को उनका ममत्व पाने का सौभाग्य मिला। उनके जाने से साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है ।