(लालगंज) आजमगढ़ । भारतीय शिक्षा समिति द्वारा संचालित जिले के समस्त शिशु मंदिरों एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का दो दिवसीय आचार्य विकास वर्ग 2024 का समापन स्वस्ति वाचन तथा शान्ति पाठ के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षा समिति के संभाग निरीक्षक दिवाकर राम त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने सभी सरस्वती शिशु मंदिरों में शिक्षा दी जाती है। भैया बहनों का चारित्रिक और नैतिक विकास करके भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने की संकल्पना को साकार करने के लिए आचार्य सदैव प्रयासरत रहते हैं। भैया बहनों के समग्र विकास हेतु विद्या भारती पांच आधारभूत विषय के माध्यम से पंचकोशों का विकास करती है। जैसे अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश ,विज्ञानमय कोश, और आनंदमय कोश। विद्वानों का मानना है, कि कोश शरीर और आत्मा के बीच संबंध विकसित करने की कुंजी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ओम प्रकाश सिंह पूर्व प्रधानाचार्य तिलखरा ने कहा की सरस्वती शिशु मंदिरों की बहुत ही गौरवमयी परंपरा रही है। सरस्वती शिशु मन्दिर ज्ञान- विज्ञान और गौरव के केंद्र हैं। इस संस्था से निकला हुआ छात्र जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता है। वह जहां भी रहता है, अपनी एक अमिट छाप छोड़ता है। शिशु मंदिर में पढ़ना गौरव की बात है। विद्यालय के प्रधानाचार्य अंशदार यादव ने अतिथियों का परिचय कराया, तथा कार्यक्रम में भाग ले रहे प्रधानाचार्यों, आचार्यों तथा शिक्षिकाओं के प्रतिआभार प्रकट किया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों को भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई एक पुस्तक तथा कैलेंडर उपहार स्वरूप दिया गया। इस अवसर पर राम बिहारी गिरि, दिनेश गुप्त, प्रधानाचार्य अंशदार यादव, प्रमोद तिवारी, बृजभूषण शुक्ल, दुर्गा शंकर तिवारी, दयाराम, विनोद राम, सच्चिदानंद पाल, अनिल राय, नीलम यादव, कनक लता, ऊषा यादव आदि लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य दुर्गा शंकर तिवारी ने किया ।